जुर्माना निर्धारण में विचारणीय विषय

अमोल मालुसरे – भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 [1988 का अधिनियम सं , 49] के तहत् धारा 16 के अनुसार , जुर्माना निर्धारण में विचारणीय विषय कौन –कौन से होंगे?

उत्तर / जानकारी- भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 [1988 का अधिनियम सं , 49] के तहत् धारा 16 के अनुसार –

धारा 16 – जुर्माना निर्धारण में विचारणीय विषय होंगे-

जहाँ धारा 13 की उपधारा 2 या धारा 14 के अधीन अर्थदंड अधिरोपित किया जाना है तो दंड आदेश जारी करने वाला न्यायालय, उस सम्पति का मूल्य, यदि कोई है जिसे अभियुक्त व्यक्ति ने अपराध में उपार्जित किया है या जहां धारा 13 की उपधारा 1 के खंड ड़ में वर्णित अपराध के लिए सिध्ददोष होता है तो उस खंड में वर्णित अथवा धन संबंधी स्त्रोत जिसके संबंध में अभियुक्त समाधानप्रद विवरण नहीं दे सका , विचार में ले सकेगा।

धारा 13 लोक सेवक द्वारा आपराधिक अवचार-

1)  लोक सेवक आपराधिक अवचार के अपराध का करने वाला कहा जाता है-

क. यदि वह अपने लिए या किसी अन्य के लिए वैध पारिश्रमिक से भिन्न कोई पारितोषण हेतु या ईनाम के रूप में जैसा कि धारा 7 में उपबन्धित है किसी व्यक्ति से अभ्यासतः प्रतिग्रीत या अभिप्राप्त करता है, करने को सहमत होता है या करने का प्रयत्न करता है; या

 

ख. यदि वह अपने लिए या कीसी अन्य के लिए कोई मूल्यवान वस्तु प्रतिफल के बिना या ऐसे प्रतिफल के लिए जिसका पर्याप्त होना वह जानता है किसी ऐसे व्यक्ति से जिसका अपने द्वारा की गई या की जाने वाली किसी प्रक्रिया या कारबार से संबंध रहा होगा या हो सकना अथवा अपने या किसी ऐसे लोक सेवक जिसका वह अधीनस्थ है पदीय कार्यों से कोई संबंद होना वह जानता है अभ्यासतः प्रतिग्रहीत या अभिप्राप्त करता है या प्रतिग्रहीत करने के लिएसमत होता है या अभिप्राप्त करने का प्रयत्न करता ; या

 

ग. यदि वह लोक सेवक के रूप में उसे सौंपी गई या उसके नियंत्रणाधीन कोई संपत्ति अपने उपयोग के लिए बेईमानी से या कपटपूर्वक दुर्विनियोग करता है या अन्यथा सम्परिवर्तत कर लेता है या किसी अन्य को ऐसे करने देता है, या

 

घ. यदि वह-

एक. भ्रष्ट या अवैध साधनों से अपने लिए या किसी अन्य व्यक्ति के लिए कोई मूल्यवान वस्तु या धन संबंधी लाभ अभिप्राप्त करता है, या

 

दो. लोक सेवक के रूप में अपनी स्थिति का दुरूपयोग करके अपने लिए या किसी अन्य व्यक्ति के लिए कोई मूल्यवान चीज या धन संबंधी लाभ अभिप्राप्त करता है, या

 

तीन. ऐसे लोक सेवक के रूप में पद पर होते हुए किसी लोक रूचि के बिना किसी व्यक्ति के लिए मूल्यवान वस्तु या धन संबंधी लाभ अभिप्राप्त करता है, या

 

ड़. यदि उसके या उसकी ओर से किसी व्यक्ति के आधिपत्य में ऐसे धन संबंधी साधन एवं ऐसी सम्पति  जो उसकी आय की ज्ञात स्त्रोतों की आनुपातिक है अथवा उसकी पदीय कालावधि के दौरान किसी समय आधिपत्य में रही है जिसका लोक सेवक समाधानप्रद रूप से विवरण नहीँ दे सकता।

 

स्पष्टीकरण- इस धारा के उद्देश्यों के लिए आय के ज्ञात स्त्रोतों पद का तात्पर्य होगा कोई ऐसे वैध स्त्रोत जिससे आय प्राप्त की गई है औरलोक सेवक पर तत्समय प्रवृत्त किसी विधि, नियम या आदेश के अधीन उसकी प्राप्ति की सूचना दे दी गई है।

 

2)  कोई लोक सेवक जो आपराधिक अवचार करेगा ऐसे अवधि के कारावास सेदंडित किया जाएगा जो एक वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो सात वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से भी दंडनीय किया जाएगा।

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